दंतेवाड़ा। पशुपालन व्यवसाय में दुग्ध एवं खाद निर्माण के लिए पशुओं हेतु चारे की व्यवस्था, टीकाकरण सहित अन्य देखभाल जितना जरूरी है उतना ही आवश्यक है पशुओं के लिए उत्तम रहवास की व्यवस्था तात्पर्य है कि पशुधन प्रबंधन के तहत पशुओं के रहने के स्थान का भी ध्यान रखा जाना पशुपालकों के लिए अनिवार्य होता है। जिसमें रोजाना साफ -सफाई, पशु संख्या अनुरूप पर्याप्त जगह और खुला हवादार होना, पशु अपशिष्ट की निकासी और धूप वर्षा से बचाव के समुचित प्रबंधन होना चाहिए। आमतौर पर स्थानीय ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के रहने के स्थान जिसे अमुमन स्थानीय बोली में ’’कोठा’’ कहा जाता है। पूराने परिपाटी से ही बनाये जाते रहें है जहां न तो पर्याप्त जगह होती है और न ही उचित ढंग से साफ-सफाई का प्रबंध होता है। स्पष्ट है ऐसे रख रखाव से पशुधन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है साथ ही उनमें पशु जनित रोग पनपने की संभावना भी बढ़ जाती है और दुग्ध उत्पादन क्षमता भी कम होने लगती है। इस क्रम में महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत बनाये जा रहे गाय शेड निर्माण से पशुपालकों को गौवंशो के रखरखाव में सुविधा मिली है। ब्लॉक कुआकोण्डा ग्राम हल्बारास के निवासी पशुपालक सुखराम को भी मनरेगा अन्तर्गत पशुपालन को आय के साधन के रूप में विकसित करने हेतु गाय शेड निर्माण हेतु 1 लाख 28 हजार की राशि वर्ष 2021-22 में प्रदाय की गई। इस संबंध में सुखराम ने बताया कि वह ग्रामीण परिवेश में रहकर खेती-बाड़ी के माध्यम से अपनी आजीविका चलाता है।
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Tuesday, February 20, 2024
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गाय शेड निर्माण से गौवंशों का हुआ रखरखाव आसान * दुग्ध उत्पादन एवं खाद निर्माण से पशुपालकों को हो रही है सुविधा
गाय शेड निर्माण से गौवंशों का हुआ रखरखाव आसान * दुग्ध उत्पादन एवं खाद निर्माण से पशुपालकों को हो रही है सुविधा
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