जिला प्रतिनिधि =भुनेश्वर ठाकुर
दक्षिण बस्तर की प्रसिद्ध फागुन मंडई के छठवें दिन गुरुवार को माई जी की डोली नारायण मंदिर पहुंची और परंपरानुसार विधिवत पूजा-अर्चना एवं अन्य रस्म अदायगी के पश्चात् देर शाम वापस मंदिर पहुंची , तत्पश्चात् आदिम आखेट नृत्यों की परम्परा में ’’कोडरी मार’’ नाट्य का आयोजन किया गया। जिसमें कोडरी के आखेट की आदिम परम्परानुसार नृत्य गान और नाट्य का प्रदर्शन किया गया।यह आयोजन दक्षिण बस्तर में फागुन मड़ई का बेहद प्रसिद्ध आयोजन है ,जिसमें आसपास क्षेत्र के ग्रामीण बड़ी संख्या में शामिल होते हैं ।
इसके पश्चात अगले दो दिवस तक आखेट नृत्यों की परम्पराओं का आयोजन किया जायेगा।
जिसके चीतलमार एवं गंवरमार का प्रदर्शन किया जायेगा जो कि चीतल तथा गौर के शिकार पर आधारित आखेट नृत्य हैं। इन नृत्यों में जानवरों का स्वांग रचा जाता है जिसके लिये तूम्बे से बने मुखौटों का प्रयोग किया जाता है। फागुन मंडई में निभाये जाने वाले आखेट नृत्यों में सर्वाधिक लोकप्रिय गंवरमार को कहा जा सकता है जिसे देखने के लिये भारी संख्या में दर्शनार्थी जमा होते हैं। दंतेवाडा से भुनेश्वर ठाकुर कि रिपोर्ट