दंतेवाड़ा-भारतीय जनता पार्टी के पिछले 15साल में अनेक चहेते अपने मलाईदार पर अंगद की तरह जमे थे. सरकार बदलने के बाद उन कर्मियों को लूप लाइन में डाला गया था. लेकिन जैसे ही भाजपा सरकार की वापसी हुई फिर से वही सेटिंग चालू हो गई है. और खंड स्रोत समन्वयक के पद पर जुर्री साहब फिर से काबिज हो गए. पिछले भाजपा सरकार में जमकर मलाई का उदाहरण भी चितालंका में इन्होंने बना रखा है . बहरहाल, यह उल्लेख करना जरुरी है कि वर्तमान में भी इनको थोपे जाने से शिक्षकों में नाराजगी देखी जा रही है. नाम नहीं छापने के शर्त पर शिक्षक बताते है कि बीइओ -बीआरसी के कार्यशैली से सभी परेशान हैं. कांकेर मूल ग्राम के निवासी वर्तमान बीआरसी के अलावा भी कई इनसे भी अधिक योग्य इस पद पर मौका चाहते हैं लेकिन धनबल में और जुगाड़ में पीछे हो जाते हैं चूंकि इस मलाईदार पद को हथियाने के लिए मंत्रालय तक का जुगाड़ लगाना होता है और राशि भी फिक्स होती है. कहना होगा कि पंद्रह साल तक एक चेहरे को देखकर जनता ने भी मुख्यमंत्री रमनसिंह को बाहर का रास्ता दिखाया था और सरकार वापसी के बाद भी जनभावना का सम्मान करते उन्हें नहीं थोपा गया. लेकिन वर्तमान बीआरसी को फिर से थोपने पर शिक्षकों का एक बड़ा वर्ग नाराज चल रहा है.सूत्र यह भी बताते हैं कि शिक्षकों के हर कार्यालयीन मामले निपटाने के एवज में फिक्स राशि देना होता है . मसलन लंबी छुट्टी,भविष्य निधि की राशि आहरण,बैंक लोन, मेडिकल क्लेम, निर्माण कार्य आदि निपटाने फिक्स प्रतिशत तय होता है. और यह कड़ी ऊपर तक है.ये अपने पद को बचाये रखने के लिए अनेक समझौते करते हैं. जिसका परिणाम भ्रष्टाचार होता है. इन सब के अतिरिक्त अनेक मामले शिक्षक बता रहें हैं