*जमीन से जुड़े कार्यकर्त्ता को मिल सकती है जिम्मेदारी *
*हाल में उपजी निराशा को उत्साह में बदलने वाला बनेगा जिलाध्यक्ष ?*
दंतेवाड़ा-भाजपा जिलाध्यक्ष चैतराम अटामी के विधायक बनने के बाद से जिलाध्यक्ष पद को लेकर अंदरूनी रुझान और उथल- पुथल को पार्टी संगठन द्वारा गंभीरता से लेने के संकेत मिल रहे है. हाल के विधानसभा चुनावों में देश में किये जा रहे भाजपाई प्रयोग सफल दिख रहे हैं. तीन राज्यों में नए चेहरे को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी संगठन ने नया संदेश देकर जमीनी कार्यकर्ताओं में एक नया उत्साह भरते अन्य दलों से खुद को अलग साबित करने का सफल प्रयास भी किया है.जमीन स्तर के कार्यकर्त्ता और नए चेहरे को अवसर दिया जा रहा है. इससे यह बात भी छनकर आ रही है कि पार्टी संगठन की पैनी नजर है. और पार्टी कोई समझौता कर जिलाध्यक्ष थोपना नहीं चाहती.छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में प्रशासनिक अनुभवों को वरीयता देते ओमप्रकाश चौधरी को प्रमोट करना भी एक अच्छा फार्मूला और सही कदम साबित हो रहा है.हाल के भाजपा के देशव्यापी राजनीतिक निर्णयों को देखते हुए जिलाध्यक्ष के रुप में कोई नया, ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी पकड़, प्रशासन के कार्यो के अनुभवी चेहरे को संगठन अगर अवसर दे तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए.क्योंकि भाजपा में ऐसा संभव होने के अनेक मिसाल हैं.बजाय ऐसे चेहरे के जिनका जमीन में पकड़ न हो, जिन पर राजनीति के साथ ठेकेदारी का ठप्पा लगा हो,विधायक के इर्द -गिर्द रहने वाले,जो अपने परिवार के पार्षद उम्मीदवार की जमानत न बचा सके, जिनका नाम माफिया वर्ग भी बड़े अदब से लेता हो, जो विपक्ष को भी अंदरूनी तौर पर पसंद हो, जो लोगों को काम दिलाकर कमीशनखोरी करे,ऐसे अनुभवी जिनके अनुभव से पार्टी को नुकस