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Sunday, September 7, 2025

नियम विरूद्ध एक व्याख्याता 10 वर्षो से बना बैठा है मंडल संयोजक



जिला ब्यूरो चीफ=भुनेश्वर ठाकुर 



 छात्रों के साथ अन्याय   विषयवार शिक्षक नहीं होने से छात्र नहीं  पढ़ रहे अंग्रेजी, गणित विज्ञान जैसे महत्व पुर्ण विषय

 संलग्रनीकरण खत्म होने के बाद भी दर्जनों शिक्षक/व्याख्याताओं से गैर शिक्षकीय कार्य लिया जा रहा

  नियम विरूद्ध व्याख्याता को लंबे समय तक मंडल संयोजक बनाए रखने  पर उठ रहे सवाल

 दंतेवाड़ा 6 सितंबर। छत्तीसगढ़ में स्कूल एवं शिक्षण व्यवस्था रसातल  पर है। शिक्षण व्यवस्था को दुरूस्त करने की बड़ी बड़ी बातें करने वाली विष्णु देव साय की सरकार के कार्यकाल में सरकारी स्कूलों की स्थिति अत्यंत दैयनिय हो चुकी है। शिक्षक स्कूलों में  पढ़ाना छोड़ कार्यालयों में बैठकर फाईल निपटाने के कामों में लगे हुए हैं। स्कूलों एवं आश्रमों में व्याप्त अव्यवस्था यह दिखलाता है कि भाजपा सरकार को आदिवासी छात्रों के भविष्य की कोई  परवाह नहीं। कन्या हाईस्कूल गीदम का एक व्याख्याता रविन्द्र टीकम बीते मंडल संयोजक गीदम के  पद  पर बीते 10 वर्षो से काबिज है जबकि हाल ही में शिक्षक बने मंडल संयोजकों को वापस उनके मूल शाला में भेजने शासन का एक  त्र भी आया है बावजूद मंडल संयोजकों को नहीं हटाया जा रहा। प्रशासन ने किस मंशा से नियम विरूद्ध व्याख्याता रविन्द्र टीकम को इतने लंबे समय तक मंडल संयोजक बनाकर रखा है यह तो मालुम नहीं परन्तु इससे उन छात्रों का भविष्य अवश्य चौपट हो रहा है जिन्हें अंग्रेजी, गणित, विज्ञान जैसे अति महत्व पूर्ण विषयों के शिक्षक उनके शाला में  पदस्थ होते हुए भी छात्र विषयवार पढ़ नहीं पा रहे। शासन के किस किताब में यह लिखा है कि मंडल संयोजक एक व्याख्याता को बनाया जा सकता है। व्याख्याता का काम स्कूलों में छात्रों को विषय  ढ़ाना होता है। रसूखदार शिक्षक, व्याख्याता अ ने मूल शाला को छोड़कर बीईओ, डीईओ, सहायक आयूक्त, आरजीएम, लक्ष्य जिला  पंचायत समेत अन्य कार्यालयों में अटैच होकर अफसरों की सेवा और जी-हुजूरी में लगे हैं। कोई मंडल संयेाजक बनकर मजे लूट रहा है तो कोई डीईओ, बीईओ, सहायक आयुक्त, एवं डीएमसी का सहायक बनकर उनके इशारे  पर नाच रहा है और यह स्थिति कोई आज की नहीं बल्कि दशकों से जिले में ऐसी परम्परा चली आ रही है। इन रसूखदार शिक्षकों की  पहुंच काफी उपर तक होती है। अगर इन्हें  पद से हटाने की कोशिश कोई अफसर करता भी है तो सीधे मंत्रालय से इन्हें यथावत बनाए रखने का आदेश  पत्र आ जाता है। संलग्रीकरण समाप्ति का आदेश सरकार का केवल दिखावा से ज्यादा कुछ नही होता। संलग्रीकरण समाप्ति का आदेश आखिर इन शिक्षकों एवं व्याख्याताओं  पर क्यों लागू नहीं हो रहा?  जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालयों में अटैच इन शिक्षकों को क्यों मूल शाला में नहीं भेजा जा रहा? इनको संरक्षण देने के  पीछे जिला शिक्षा अधिकारी का क्या स्वार्थ है? सरकारी स्कूलों में एक ओर छात्रों को विषयवार शिक्षक नहीं मिल रहे वहीं दुसरी ओर शिक्षकों को कार्यालयों में संलग्र कर इनसे गैर शिक्षकीय कार्य लिया जा रहा है । गीदम कन्या हाईस्कूल का व्याख्याता रविन्द्र टीकम वर्ष 2015-16 से गीदम मंडल संयोजक की जिम्मेदारी सम्हाल रहे है। उधर स्कूल में छात्र अंग्रेजी विषय नहीं  पढ़ पा रहे , छात्रों का भविष्य खराब हो रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी और जिला कलेक्टर को चाहिए कि फौरन गीदम मंडल संयोजक रविन्द्र टीकम व्याख्याता सहित अन्य पदों पर विराजमान व्याख्याताओं को वापस अपने मूल शाला में भेजे । यही छात्र हित में सही होगा अन्यथा साल दर साल छात्रों का भविष्य चौपट होता रहेगा।

दंतेवाडा से भुनेश्वर ठाकुर कि रिपोर्ट

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